NSE IPO: भारत के इतिहास का सबसे बड़ा सार्वजनिक प्रस्ताव, पारदर्शिता और जवाबदेही में नए मानक स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम
“हाल ही में NSE के CEO, आशीष कुमार चौहान ने हाल ही में घोषणा की है कि SEBI से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) मिलने के बाद वे IPO की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने जा रहे हैं। वे ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को फिर से दाखिल करेंगे।“
NSE के द्वारा 2016 से बंद पड़ी IPO की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगले कदम के रूप में NSE का उद्देश्य ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को पुनः दाखिल करना है, जिससे कंपनी सार्वजनिक हो सके और बाजार में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ा सके।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने अपने मेगा IPO की घोषणा कर दी है, जिसे भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक प्रस्ताव बनने की क्षमता है। NSE का उद्देश्य इस IPO के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करना है, न कि शेयर मूल्य का पता लगाना। NSE के मुख्य बिजनेस डेवलपमेंट अधिकारी, श्रीराम कृष्णन ने नई दिल्ली में बताया कि इस IPO से NSE की संरचना में जवाबदेही को और सुदृढ़ किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम एक अर्ध-वाणिज्यिक संगठन हैं और बिना प्रमोटर वाले एक संस्थान के रूप में हमारे लिए बाजार के प्रति जवाबदेही और पारदर्शिता जरूरी है।”
वर्तमान में NSE के पास लगभग 20,000 शेयरधारक हैं, और इसके शेयर अनलिस्टेड मार्केट में लगभग ₹2,000 प्रति यूनिट के करीब ट्रेड कर रहे हैं। अनुमानित ₹4.75 लाख करोड़ के वैल्यूएशन के साथ, अगर NSE अपने IPO में 10% हिस्सेदारी बेचता है, तो इसका आकार लगभग ₹47,500 करोड़ हो सकता है। यह न केवल इसे भारत का सबसे बड़ा IPO बनाएगा, बल्कि एक ऐसा ऐतिहासिक अवसर होगा जो Hyundai के रिकॉर्ड को भी तोड़ सकता है।
NSE ने सेबी से अनुमति मिलने के तुरंत बाद IPO लॉन्च करने की योजना बनाई है।
NSE Co-location Issue Solved: को-लोकेशन विवाद के बाद NSE IPO के लिए रास्ता हुआ साफ, सेबी ने दी बड़ी राहत
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का IPO वर्ष 2016 से अटका हुआ था, जब को-लोकेशन स्कैम ने इसकी प्रक्रिया को बाधित किया। इस विवाद में कुछ चुनिंदा ब्रोकरों को NSE के सिस्टम्स और डेटा तक तेजी से पहुंच मिली थी, जिससे कई सवाल खड़े हुए थे। इस विवाद ने NSE की IPO योजना में बड़ा अवरोध डाल दिया था। हालांकि, हाल ही में सेबी ने अपर्याप्त सबूतों के आधार पर इस मामले को समाप्त कर दिया है, जिससे NSE के IPO के लिए रास्ता साफ हो गया है।
सितंबर तिमाही में NSE ने वित्तीय रूप से भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जहाँ इसका समेकित शुद्ध लाभ 57% बढ़कर ₹3,137 करोड़ हो गया। साथ ही, परिचालन राजस्व में भी 24% की वृद्धि दर्ज की गई। NSE के CEO, आशीष कुमार चौहान ने हाल ही में घोषणा की है कि SEBI से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) मिलने के बाद, वे ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को फिर से दाखिल करेंगे।
वे IPO की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगले कदम के रूप में NSE का उद्देश्य ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) को पुनः दाखिल करना है, जिससे कंपनी सार्वजनिक हो सके और बाजार में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ा सके। इससे NSE के IPO का मार्ग प्रशस्त हो गया है, जिससे भारतीय शेयर बाजार में एक ऐतिहासिक मोड़ की उम्मीद की जा सकती है।
कमोडिटी मार्केट में NSE की नई पहल: कैश सेटल्ड कॉन्ट्रैक्ट्स और गैर-कृषि क्षेत्रों पर ध्यान
NSE अपने कमोडिटी मार्केट का विस्तार करने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा है। डेरिवेटिव्स मार्केट में कड़े नियमों के कारण NSE के कुछ राजस्व पर दबाव आ सकता है, लेकिन इस चुनौती के बावजूद NSE कमोडिटी सेगमेंट को मजबूत बनाने के प्रयास में जुटा है। NSE के एक अधिकारी ने बताया कि भारत में कमोडिटी ट्रेडिंग के लिए बड़े अवसर मौजूद हैं। उन्होंने कहा, “हमने इस क्षेत्र का गहन विश्लेषण किया है और FPI से मिले फीडबैक के आधार पर कैश सेटल्ड कॉन्ट्रैक्ट्स लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं।”
आने वाले महीनों में NSE का लक्ष्य गैर-कृषि कमोडिटीज के क्षेत्र में नए कॉन्ट्रैक्ट्स पेश करना है, जिससे NSE का कमोडिटी सेगमेंट और अधिक सशक्त होगा।